में क्षमा चाहुगा की मैंने बहुत दिनों से नहीं लिखा पर अब शायद लगता है लिखना चाहिए ये हमारा दायित्य है
आज सिर्फ इस बात पर बोलूंगा की कश्मीर में भारतीय जनता पार्टी ने सही नहीं किया जिस पार्टी से उनका सेंदातिक मतभेद था उसी पार्टी से समझोता किया शायद यही राजनीती है
पर जो हुआ वह भी मान सकते है जब कश्मीरी पंडितो का पुनर्वास सही ढंग से हो जाये एहि मेरी आशा है
यह में इसलिए नहीं बोल रहा हूँ की में पंडित हूँ बल्कि में एक इंसान हूँ
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें