लो चलो आज फिर भारत हर गया आज फिर सब को कल के लिए मसाला मिल गया की भारत के सीनयर अब चुक गए है में भी इस बात से कुछ सहमत हूँ लेकिन दोष सब उनका नहीं है किसी और का भी है
एक बात समझ में नहीं आता की इतने बड़े देश में हम ११ खिलाडी नहीं चुन सकते
फिछले १० साल से हम सिर्फ २० या २५ खिलाडी ही निकल पाए तो क्या करे कोई .
सब चाहते है हम भारत के लिए खेल इसमें देशप्रेम तो होता ही है साथ में मिलना वाला पैसा और सम्मान
और भी बहुत कुछ सो सब खेलना चाहते है चाहे इसलिए उनको अपनी कोई चोट छुपानि पड़े या कुछ भी
पर वो शायद ये नहीं जानते की उनपर १०० करोड़ लोगो का सम्मान भी साथ होता है
में किसी को दोष नहीं दूंगा सिर्फ ये चाहता हूँ की जूनून के साथ खेले सिर्फ विज्ञापन में
नहीं वास्तव में महसूस हो की सर उठा के जिए